विद्यार्थी जीवन का अंतिम उद्देश्य एक अच्छा मनुष्य बनना होना चाहिए - आचार्य आर्यनरेश
विद्यार्थियों को शाकाहार अपनाकर नित्य योग प्राणायाम के लिए किया प्रेरित
जितेन्द्र निगम चिचोली
विद्यार्थी जीवन का सर्वप्रथम उद्देश्य अपने अंत:करण मे मनुष्यत्व का निर्माण होना चाहिए. विद्यार्थियों को सात्विक जीवन अपनाकर सत्य ; धर्म और वेदों के कथनानुसार आचरण करना चाहिए." यह उद्गार वैदिक विद्वान आचार्य आर्यनरेश ने गुरूसाहब पब्लिक स्कूल के सभाकक्ष मे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए.*
उन्होंने बताया कि भारत की संस्कृति ; ज्ञान , परंपराऐं , रीति रिवाज विश्व के शिखर पर प्रतिष्ठित है. हमे इनको उच्चतम स्तर पर बनाऐ रखना है .विद्यार्थियों को बुराइयों का त्याग कर अच्छाइयों को अपनाना चाहिए. उन्होंने नारा दिया - हम सुधरेंगे - जग सुधरेगा ; हम बदलेंगे - युग बदलेगा.
आचार्य श्री ने विद्यार्थियों को शाकाहार के साथ योग प्राणायाम को नित्य जीवन मे शामिल करने की सीख दी.उन्होंने विद्यार्थियों को सदाचार के साथ माता पिता एवं गुरुजनों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया.*
कार्यक्रम के दौरान संस्था के संरक्षक रितेश मालवीय ; संचालक वर्षा मालवीय ; समाजसेवी संतोष मालवीय के साथ आचार्य प्रद्युम्न जी और शिक्षक - शिक्षिकाऐं भी उपस्थित रहे. संस्था की ओर से आचार्य श्री का शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गयाl
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