चार माह भगवान शिव संभालेंगे सृष्टि का संचालन
धर्म :-
चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीर सागर की अनंत शैय्या पर योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं। इस समय सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव पर आ जाता है। चातुर्मास के समय तपस्वी व साधु संत भ्रमण के बजाए किसी एक ही स्थान पर रहकर तप, साधना करते हैं। जैन धर्म में पवित्र पर्युषण पर्व भी इन्हीं दिनों में आता है। इस समय उपवास और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। इस अवधि के दौरान सत्य का आचरण करना चाहिए और किसी को भी कष्ट पहुंचाने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
चातुर्मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। शास्त्रों के अनुसार इन चार महीनों में अधिकांश समय पूजा-पाठ में व्यतीत करना चाहिए। ध्यान, साधना, सत्संग, व्रत, उपवास के लिए ये सबसे उपयुक्त समय होता है। इन चार माह पत्तेदार सब्जियां नहीं खाना चाहिए। कहा जाता है कि सावन में साग-सब्जी, भाद्रपद में दही, अश्वनी माह में दूध और कार्तिक में दालें ग्रहण नहीं करनी चाहिए। चातुर्मास में चारपाई पर सोना, मांस मदिरा का सेवन करना, शहर का त्याग करना भी वर्जित है। मान्यता है कि चातुर्मास में जो व्यक्ति उपवास करते हुए नमक का त्याग करता है उसके पूर्व कर्म सफल होते हैं।
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