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पथ्थर की मूर्ति मे संन्त अभिरामदास के दर्शन...संत ने बनावा दिया-माँ नर्मदा के पथ्थरो से विशाल मंदिर.....तारमखेड़ा मंदिर का निर्माण कराने के बाद ब्रम्हलीन हुए थे "श्री अभिरामदास जी महाराज"

पथ्थर की मूर्ति मे संन्त अभिरामदास के दर्शन....
संत ने बनावा दिया-माँ नर्मदा के पथ्थरो से विशाल मंदिर...

तारमखेड़ा मंदिर का निर्माण कराने के बाद ब्रम्हलीन हुए थे "श्री अभिरामदास जी महाराज"

चिचोली मीडीया :- ( आनंद रांमदास राठौर चिचोली ) 
सुदूर ग्रामीण अंचल के छोटे से गाव मे 1962 मे जन्मे एक ग्रामीण की श्रीराम के अन्नय भक्त संकट मोचक श्री हनुमान जी के प्रति अगाध श्रृद्धा रही की अपने जीवन काल मे तारमखेड़ा हनुमान मंदिर को भव्य रुप देखने का सकल्प पूरा किया! और जब सकल्प पूर्ण हुआ तो ब्रम्हलीन हो गये । 
निमिया ग्राम के यादव परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभिरामदास महाराज ने अपने जीवन का समय तारम खेड़ा मे स्थित झोतवाले श्री हनुमान जी के मंदिर मे भक्ति भाव मे बिताया । इसी दरमियान  संत अभिरामदास जी ने श्री झोतवाले श्रीहनुमान जी के मंदिर सकल्प लिया। और मंदिर निर्माण के लिए पैदल निकलकर धर्म प्रचार के साथ साथ धन सग्रह भी किया!
उत्तरप्रदेश के प्रसिध्द संत "देवराहा बाबा" के शिष्य गरूड़दास जी महाराज के शिष्य श्री श्री 1008 अभिरामदास जी महाराज ने "झोंत वाले दादा" तारमखेड़ा सिध्द हनुमान जी मंदिर के निमार्ण के लिए माँ नर्मदा के पत्थरों का उपयोग मंदिर मे करवाया 

ग्रामीण अंचलो मे भ्रमण कर  लोगों की आस्था को मंदिर से जोड़ा गया ! सन् 2004 मे प्रथम बार तारमखेड़ा मंदिर में "यज्ञ प्रथा" महाराज जी द्वारा आरम्भ की गई जो वर्तमान में भी जारी है। 
मंदिर निमार्ण के बाद यहाँ विशाल श्रीरामचरित मानस महायज्ञ के साथ ही ब्रह्मलीन संत अभिराम दास जी महाराज की स्मृतियों को शेष रखने के लिए मंदिर के निकट ही छत्तीसगढ़ से पत्थर से बनी उनकी प्रतिमा बनवाकर स्थापित कि गई है! मंदिर में संत अभिराम दास जी की प्रतिमा को देखकर आज भी लोगों को के मन में उनकी स्मृति उभर कर आ जाती है!
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