3 साल से परिवार से बिछड़े विक्षिप्त युवक को वन विभाग के गस्ती दल ने मिलाया
गस्ती दल को घोघरा नांदा मार्ग के बीच जगल मे पेड़ के नीचे मिला था युवक
चिचोली मीडिया:- ( किशोर पाल- टाईगर )
पश्चिम वन मंडल के अंतर्गत आने वाले चिचोली रेंज के गश्ती दल को गस्त के दरमियान रात में बीच जंगल में पेड़ के नीचे एक युवक अचेत स्थिति मे पड़ा दिखाई दिया था। जिसके बाद गश्ती दल की टीम द्वारा युवक के पास पहुंचकर निरीक्षण किया गया थाi युवक को नींद से जगा कर गश्ती दल ने उससे पूछताछ की ,वह मूलतः बिहारी भाषा में बात कर रहा था!सहयोग वंश गस्ती टीम मे भी बिहार का रहने वाला वनरक्षक शामिल था! वन परीक्षेत्र अधिकारी ने अपने अधीनस्थ वनरक्षक को बिहारी भाषा में बात करने के लिए कहा, वनरक्षक ने बिहारी भाषा बोल रहे युवक से बातचीत की! बातचीत करने के दरमियान स्थिति सामने आई कि, वह युवक बिहारी भाषा बिल्कुल सटीक बोल रहा था और भाषा से वह बिहारी भी लग रहा था । वन परीक्षेत्र अधिकारी शैलेंद्र चौरासिया ने बताया कि, दिनांक 4-5 मई 2024 को रात्रि गश्ती के दौरान घोघरा से नांदा के रास्ते में जंगल में रात्रि के करीब 12:30 बजे एक आदमी पेड़ के नीचे पड़ा हुआ दिखाई दिया! हमे ऐसा लगा की डेड बॉडी पड़ी हुई है । पास में जाकर हॉर्न बजाया , तो आदमी उठ गया उसके पास जाकर पूछताछ की तो उसकी बातों से ऐसा लगा कि वह मानसिक रूप से कमजोर है! और उसने बताया कि वह बिहार के लखीसराय के पिपरिया का रहने वाला है! और वहां से यहां तक पैदल आया हुआ है! हमे लगा की पागल आदमी है। मेरे साथ गस्ती में वनरक्षक फुल देव यादव भी था जो कि बिहार का रहने वाला है !उसने उसकी भाषा में बात की तब लगा कि वह व्यक्ति सही बोल रहा है। उसकी तलाशी ली तो उसके पास केवल माचिस पाई गई फिर उसे हमारे द्वारा उसे वन चौकी नांदा लाया गया और रात्रि में ही इंटरनेट के माध्यम से लखीसराय पुलिस का नंबर लिया गया । वहां संपर्क किया गया और पिपरिया थाने का नंबर लिया गया ! और वहां इसके संबंध में सूचना दी गई एवं उसके फोटो भेजे गए। थाना प्रभारी पिपरिया द्वारा बताया गया कि मै सुबह उसके परिवार से संपर्क कर लूंगा सुबह हमारे द्वारा फिर से संपर्क किया गया और उसके परिवार से बात की गई उसके परिवार द्वारा बताया गया कि, वह 3 साल से घर से लापता है और उसकी सुरक्षित होने की जानकारी प्राप्त करके उसके परिवार में खुशी का माहौल है और जल्द से जल्द उसे बैतूल लेने आ रहे हैं! गस्ती दाल की सक्रियता से पिछले तीन साल से अपने परिवार से बिछड़े मानसिक रूप से कमजोर युवक जल्द ही अपने परिवार तक सकुशल पहुंच जाएगा यह मानवीय दृष्टि से एक सूखद खबर है! जिसके लिए वन की टीम बधाई की पात्र भी है।
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