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सृष्टि के निर्माण का दिन-गुड़ी पड़वा- (हिन्दू नववर्ष)

-सृष्टि के निर्माण का दिन-गुड़ी पड़वा- (हिन्दू नववर्ष)
धर्म डेस्क :-  हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष जिसे नव-सवंत्सर भी कहा जाता है, गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का भारत के दक्षिणी राज्यों में उगादी के नाम से भी जाना जाता है। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना है। गुड़ी शब्द का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा का अर्थ होता है प्रतिपदा तिथि से। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी गुड़ी पड़वा के मौके पर लोग अपने घर में विजय पताका के रूप में गुड़ी सजाते हैं और उत्साह के साथ इसे मनाया जाता है। ऐसे मान्यता है कि गुड़ी पड़वा पर्व को मनाने पर घर में सुख और समृद्धि आती है और घर की नकारात्मक ऊर्जाएं खत्म हो जाती हैं।
गुड़ी पड़वा तिथि 2024
प्रतिपदा तिथि आरंभ- 08 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 09 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट पर।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा का त्योहार 9 अप्रैल 2024 को है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर-सुंदर गुड़ी लगाकर और उसका पूजन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति खुशहाली आती है। यह पर्व कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खास तरह के पकवान श्री खंड,पूरनपोली, खीर आदि बनाए जाते हैं। 
गुड़ी पड़वा पर लोग अपने घरों की सफाई करके मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और आम या अशोक के पत्तों से अपने घर में तोरण बांधते हैं। घर के आगे एक झंडा लगाया जाता है और इसके अलावा एक बर्तन पर स्वस्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है। इस दिन सूर्यदेव की आराधना के साथ ही सुंदरकांड,रामरक्षास्रोत और देवी भगवती की पूजा एवं मंत्रों का जप किया जाता है। अच्छे स्वास्थ्य की कामना से नीम की कोपल गुड़ के साथ खाई जाती हैं।
1-नव संवत्सर के राजा
 09 अप्रैल 2024 से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरूआत हो रही है। इस नव वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को पूरे वर्ष का स्वामी माना जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत मंगलवार से आरंभ हो रही है इस कारण से नए विक्रम संवत के स्वामी मंगलदेव होंगे। 

2-सृष्टि के निर्माण का दिन
धार्मिक मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया था और सतयुग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। यही कारण है कि इसे सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं। इस दिन नवरात्रि घटस्थापन, ध्वजारोहण, संवत्सर का पूजन इत्यादि किया जाता है।
3-वानरराज बाली पर विजय
रामायण काल में जब भगवान राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई तो उन्होंने श्री राम को बाली के अत्याचारों से अवगत कराया। तब भगवान राम ने बाली का वध कर वहां के लोगों को उसके कुशासन से मुक्ति दिलाई। मान्यता है कि यह दिन चैत्र प्रतिपदा का था। इसलिए इस दिन गुड़ी या विजय पताका फहराई जाती है।

4-शालिवाहन शक संवत
एक ऐतिहासिक कथा के अनुसार शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिए और इस सेना की मदद से दुश्मनों को पराजित किया। इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक संवत का प्रारंभ भी माना जाता है।

5-हिंदू पंचांग की रचना का काल
 प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री ने अपने अनुसन्धान के फलस्वरूप सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए हिंदू पंचांग की रचना की थी। इस दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत का प्रवर्तन किया था। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।

6-भगवान राम लौटे थे अयोध्या
धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य अयोध्या लौटे थे।

7-पहली बार छत्रपति शिवाजी ने मनाया था यह पर्व
ऐसी मान्यता है कि मुगलों से युद्ध करने के बाद जब मराठों के राजा छत्रपति शिवाजी की जीत हुई थी तब शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था। तभी से महाराष्ट्र में सभी लोग इस त्योहार को बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते आ रहे हैं। 
8-फसल की पूजा करने का महत्व
गुड़ी पड़वा पर मराठियों के लिए नया हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग फसलों की पूजा आदि भी करते हैं। 
9-नीम के पत्ते खाने की परंपरा
 ऐसी परंपरा है कि गुड़ी पड़वा पर लोग नीम के पत्ते खाते हैं। मान्यता है कि गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों का सेवन करने से खून साफ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
10- सूर्यदेव की पूजा का महत्व
गुड़ी पड़वा पर सूर्यदेव की विशेष पूजा आराधना की जा जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग गुड़ी पड़वा पर सूर्यदेव की उपासना करते हैं उन्हे आरोग्य, अच्छी सेहत और सुख- समृद्धि मिलती है।


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