मदहोश बना २ही महुएँ की खशबू....क्षेत्र मे धीरे धीरे महुआ का टपकना शुरु
चिचोली मीडिया:- आंनद राठौर
सतपुड़ा की ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे बैतूल जिले की चिचोली तहसील एवं भीमपुर ब्लाक के सुदूर वन क्षेत्रों में इन दिनो महुआ के वृक्ष के फूल की महक प्राकृतिक वातावरण को मदहोश बना रही है !
दरअसल इन दिनों क्षेत्र के वन क्षेत्रों में महुआ का गिरना (टपकना ) जारी है ! महुए के पेड़ मे आने वाले फूल के पहले ही आदिवासी जंगल के प्रत्येक वृक्षो पर अपने अपने तरीके से कपड़ा का टुकड़ा बांध देते हैं ! और फिर महुआ के फूलने के बाद टपकने के दौर में उस वृक्ष से केवल महुआ को चिन्हित करने वाला व्यक्ति ही महुआ एकत्रित करता है !
बैतुल के जंगलों में अधिकता में पाए जाने वाले महुए के वृक्ष के फूल की खुशबू की मदहोशी से कायल होकर कभी राष्ट्र कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने भी अपनी कलम उठा कर यह कविता लिखी थी !
" जब भी होली पास आती ,सरसराती घास गाती, और महुए से लपकती मस्त करती बास आती " राष्ट्र कवि के द्वारा आदिवासियों के जीवन से जुड़ी यह कविता आज के मौसम में सटीक साबित हो रही है !
हालांकि इस वर्ष चिचोली एवं भीमपुर ब्लॉक मे महुआ मौसम की मार के चलते अपेक्षा से कमाया है लेकिन फिर भी शैने: शैनेः महुआ का टपकना अब प्रारंभ हो चुका है!
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