छोटे मढ़देव मे उमड़ा ,"शिव" के भक्तो का जन सैलाब- हजारो लोगो ने पहुच कर- किये भगवान भोले नाथ के दर्शन...
जल कुंड मे डुबकी लगाकर मनाया- शिवरात्रि का महापर्व
चिचोली मीडिया :- तहसील क्षेत्र मे आज महाशिवरात्रि का त्यौहार शिव भक्त पूरी शिदृत से मना रहे है! नगर मुख्यालय से लगाकर तहसील के प्रत्येक गांव मे शिव मंदिरों में सुबह से ही लोग बड़ी सख्या मे पहुचे । चिचोली के निकट श्री तप श्री आश्रम मे शिव भक्तों ने पहुंचकर भगवान शिव की आराधना की इसके अलावा तहसील के अनेक स्थानों पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है।
वैसे तो चिचोली तहसील मे भगवान शिव के बहुत से मंदिर हैं लेकिन चिचोली नगर मुख्यालय से लगभग 5 किलो मीटर दूर बिघवा गांव के निकट सुरम्भ प्राकृतिक स्थल मे मौजुद पथ्थर की बड़ी बड़ी चट्टानो के बीच छोटे मढ़देव मे भगवान शिव का मंदिर है ! यहाँ सुबह से ही हजारो श्रृद्धालुओ का पहुंचने का क्रम जारी है! यह स्थान के बारे मे मान्यता है कि ,यहा स्थान महाभारत काल का है! यहा पर कभी पांडवो ने भी अज्ञात वास के दौरान समय बिताया था। पत्थर नुमा गुफा के निकट ही यहाँ पानी का कुंड है! जिसे ग्रामीण भीमकुड के नाम से जानते है! महाशिवरात्रि पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है और आस पास के दजनों गावो से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.
ग्रामीणो ने बताया कि, महाशिवरात्रि का पर्व यहाँ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मंदिर के पास एक भव्य मेले का आयोजन किया गंया है।जहां भक्त आकर के प्रसाद लेते हैं! और भगवान शिव पर बेलपत्र के साथ-साथ दुग्धभिषेक भी करते हैं। वहीं भगवान भोलेनाथ यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं! । इस प्राकृतिक धार्मिक स्थान पर सुबह से लगाकर दोपहर तक लगभग 20 हजार लोगों ने पहुंचकर भगवान शंकर की पूजा की। इसके अलावा परिवार सहित यहां के प्राकृतिक जल स्रोतों में डुबकी भी लगाई। गुफा के अंदर तक जाने के रास्ते पर प्रशासन द्वारा बैरिकेट्स लगाए गए हैं एवं समिति के सदस्य सहित पुलिस प्रशासन भी यहां पर मुस्तेदी से मौजूद है!
यहां पर बडी सख्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में जनजाति समाज के लोग शामिल रहते हैं जो अपनी परंपरा के अनुसार भगवान शंकर की पूजा अर्चना से पूर्व जल स्त्रोत ( पानी के कुंड) मे डुबकी लगाकर स्नान करते हैं और इसके बाद गुफा में मौजूद शिवलिंग पर जलाभिषेक कर पूजा पाठ करते हैं!
मढ देव जहां भीमकुंड मे महाबली भीम ने की थी जल साधना- आज भी मौजूद है वह पत्थर जिस पर कभी भीम बैठा करता था.....
चिचोली मीडिया डॉट कॉम- आनंद राठौर
चिचोली तहसील मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर दूर सुरम्य प्राकृतिक स्थान छोटा मढ़देव अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं।
इस स्थान के बारे में मान्यता है कि यह स्थान महाभारत कालीन कालखंड का है | इस स्थान पर कभी पांच पांडवों ने रूक कर अपना वनवास काटा था! छोटा मड़देव प्राकृतिक चट्टानों और सागौन सहित अन्य प्रजातियों के वृक्षों से आच्छादित है |
इस जगह पहुंचने पर पचमढ़ी , पातालकोट जैसी स्थिति सहज ही आंखों के सामने आ जाती है.! क्षेत्र के बुजुर्गों की माने इस जगह का इतिहास महाभारत के कालखंड से जुड़ा हुआ है छोटा मढ़देव विशालकाय चट्टानों पर मानव निर्मित गुफा है ,और गुफा के अंदर मौजूद भगवान शिव के शिवलिंग का स्वयं प्रकृति भी अभिषेक करती है!
इस स्थान पर मौजूद बड़ी-बड़ी चट्टानों पर मानव निर्मित कलाकृतियों में आदिशक्ति दुर्गा, संकट मोचन हनुमान और वनराज की मूर्तियों को हजारों हजारों वर्ष पूर्व आकार दिया गया था i
जो आज भी इस बात के प्रमाण है कि, इस स्थान पर कभी धर्मराज,युधिष्ठिर अर्जुन , महाबली भीम नकुल और सहदेव ने समय गुजारा था ! छोटा मंढ़ देव के प्राकृतिक झरने को यहां पर ग्रामीण भीम कुंड के नाम से जानते हैं! ग्रामीण सोम लाल ने बताया कि, पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें इस बात की जानकारी है कि इस जगह पर कभी शक्तिशाली भीम ने पानी की गहराई में उतरकर जल साधना की थी!
अपने गदे के प्रहार से भीम ने झरने के समीप ही कुंड तैयार किया था जिसमें वह बैठकर जल साधना किया करता था!
प्राकृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र बेहद अनुकूल है चारों तरफ जंगल और बड़े नाले के बीच से बहते कल कल पानी के बहाव के बीच यह प्राकृतिक स्थान चिचोली तहसील के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है! महाशिवरात्रि के अवसर पर इस स्थान पर मेला लगता है जो लगभग एक सप्ताह तक जारी रहता है। यह के ग्रामीण बताते हैं कि, यह स्थान सदियों पुराना है जिसके बारे में पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें जानकारी मिली है|
जब हमने ग्रामीणों के द्वारा बताए गए स्थान के बारे में सर्च किया तो वाकई यह एक बेहद चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं! महाभारत काल के उल्लेख का संबंध मध्यप्रदेश के पचमढ़ी एवं नर्मदा घाटी से रहा है। चिचोली तहसील मुख्यालय के छोटा मढ़देव से पचमढ़ी की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है।
ऐसे में कहीं ना कहीं यह क्षेत्र महाभारत कालीन कालखंड के गुजरे कार्यकाल की ओर इशारा करता है ! ग्रामीण सोमलाल इवने ने बताया कि भीमकुंड झरने के पास आज भी वह पत्थर मौजूद है जिस पर कभी भी बैठ कर स्नान किया करता था और वह गुफा भी जल स्रोत के निकट है जिसके नीचे पानी की गहराइयों में बैठकर भीम ने जल साधना की थी |
लेकिन इसके बावजूद भी पुरातत्व विभाग और मध्य प्रदेश पर्यटन ने इस रहस्य को और प्राकृतिक स्थान अभी तक कोई तथ्य नहीं जुटाए हैं |
0 टिप्पणियाँ