तेंदुए बढ़े तो टेरिटरी की जंग और इंसानों से संघर्ष भी बढ़ा, एक साल में हमले 74 से बढ़कर 150
मप्र फिर से तेंदुआ स्टेट बन गया है। इससे वन विभाग जितना खुश है, उतना ही फिक्रमंद भी। दरअसल, तेंदुओं के बीच बढ़ती टेरिटोरियल फाइट, शहर के अंदर दाखिल होने, इंसान और तेंदुओं के बीच संघर्ष में बढ़ोतरी हो रही है। इन कारणों से अब वन विभाग तेंदुओं की सुरक्षा के लिए नया एक्शन प्लान बना रहा है।
प्रदेश में तेंदुआ के आपसी व इंसानों के साथ संघर्ष के 267 मामले सामने आए हैं। पिछले एक साल में 150 मामलों में तेंदुओं ने इंसानों पर हमला किया। इससे पहले 74 थे। वर्ष 2014 की गणना में प्रदेश में डेढ़ हजार तेंदुए थे। वर्ष 2018 की गणना में यह संख्या बढ़कर 3421 हो गई। 2022 में हुई गणना में यह आंकड़ा 3907 हो गया है। भोपाल व रातापानी सेंचुरी में यह संख्या करीब 164 है।
चुनौती- तेंदुए और इंसान, दोनों को सुरक्षित माहौल देना
वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के एपीसीसीएफ शुभरंजन सैन के अनुसार, तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है। इसकी वजह तेंदुए के शिकार में कमी, सुरक्षा, पेट्रोलिंग और अनुकूल वातावरण है। बढ़ती संख्या और रहवासियों के जंगली इलाके में अतिक्रमण की वजह से संघर्ष बढ़ा है। इसको लेकर सभी वन डिवीजन वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट की खातिर लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान बनाकर काम कर
रहे है। इसका मकसद इंसानों और तेंदुओं के बीच के संघर्ष को रोकना है। जंगल के अंदर रहने वाले ग्रामीणों को सतर्क कर रहे है। लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे रात में अकेले न निकलें।
इंसानों के नजदीक पहुंच रहें हैं तेंदुए
तेंदुओं की बढ़ती संख्या की वजह से उनमें सिर्फ आपसी संघर्ष नहीं, बल्कि आबादी में घुसकर इंसानी संघर्ष बढ़ रहा है। पिछले छह माह में 267 मामले ऐसे आए, जिनमें तेंदुए या तो रहवासी इलाकों में आए, आपस में संघर्ष किया या इंसानों पर हमला किया।
पन्ना छतरपुर में सबसे ज्यादा तेंदुए
वर्ष 2022 की गई गणना में सबसे ज्यादा तेंदुए पन्ना टाइगर रिजर्व व छतरपुर के इलाके में पाए गए थे। यह संख्या तकरीबन 573 हो गई है। टाइगर रिजर्व के अलावा सेंचुरी और विभिन्न वन डिवीजन में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है।
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