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संत के आश्रम मे उमड़ा जन सैलाब- चिचोली के श्री तप श्री आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन-


संत के आश्रम मे उमड़ा जन सैलाब-
चिचोली के श्री तप श्री आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन-
सात नदियों के उद्गम स्थल पर कभी संत ने की थी कठोर साधना
पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए पत्तों से बनी पत्राली पर कराया गया भोजन-
महाशिवरात्रि के दो दिन बाद 42 सालों से चली आ रही है पंरम्परा- हजारों लोग करते हैं शिरकत-
आनंद रामदास राठौर चिचोली 
चिचोली मीडिया  :-
बैतूल जिले के चिचोली कस्बे के निकट सोनपुर क्षेत्र मे महाशिवरात्रि के दो दिन बाद 42 साल से विशाल भंडारे का आयोजन होता चला आ रहा है! इस विशाल भंडारे की खासियत यह है कि, इस भंडारे में पर्यावरण और धार्मिक परंपरा का भी विशेष ध्यान रखकर समरसता के माहौल मे आयोजन किया जाता है! गौरतलब है कि, इस धार्मिक स्थल पर सालों पूर्व महान संत श्री तपश्री बाबा ने अपना आश्रम स्थापित कर लोगों को धर्म की राह पर चलना सिखलाया था। यह आयोजन 42 साल से निर्विघ्न और समुचित व्यवस्थाओं के बीच सकुशल संपन्न होते चला आ रहा है!
इस विशाल भंडारे में लगभग 35 से 40 हजार लोग इस आयोजन में पहुंचते हैं और श्री तपश्री बाबा के आश्रम में मत्था टेक कर समरसता के माहौल मे भोजन भी ग्रहण करते हैं!
रविवार को श्री तपश्री आश्रम मे एक बार फिर श्री तपश्री बाबा के अनुयाईयो का जन सैलाब उमड़ा ! इस आयोजन में जिले से राजनीतिक दल से ताल्लुक रखने वाले नेता वरिष्ठ नागरिक जनप्रतिनिधि ,पत्रकार, भी यहां पर पहुंचे और सभी ने भोजन ग्रहण कर धर्म का लाभ लिया!
आयोजन समिति से जुड़े वरिष्ठ भाजपा नेता सदन आर्य ने बताया कि, यह आयोजन श्री तपश्री बाबा के जीवित रहते हुए इस आयोजन की शुरुआत की गई थी! बाबा के बम्हलीन होने के बाद भी 42 वर्षों से सभी के सहयोग से यह आयोजन होता चला रहा है! हमारे धार्मिक रीति रिवाज मे मान्यता है कि, भोजन को सात्विक रूप में ग्रहण करना चाहिए! और पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखना हमारे धर्म में शामिल है इसलिए प्लास्टिक से बनी किसी भी वस्तु का इस आयोजन में उपयोग नहीं होता है! हजारों लोग पत्तों से बनी पत्राली पर प्रेम पूर्वक भोजन करते हैं! पत्तों से बनी पत्राली से लघु उद्योग और गरीबों को भी रोजगार मिलता है ! इसलिए हम इस आयोजन मे इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं!
भंडारा स्थल के नजदीक ही इस अवसर पर यहां पर मेले का भी आयोजन होता है! जिसमें छोटे व्यापारी फलों से लगाकर खिलौने की दुकान और सभी प्रकार की भी लगते हैं!
शिवरात्रि के दो दिवस उपरांत प्रतिवर्षा अनुसार यहां आयोजन यहां पर होता चला आ रहा है।

सात नदियों के उद्गम केंद्र पर कभी संत ने की थी कठोर साधना - चिचोली के निकट बनाया था आश्रम...
चिचोली तहसील मुख्यालय के सोनपुर मे प्रसिद्ध संत श्री तपश्री बाबा के आश्रम में धार्मिक अनुष्ठान के तहत " शिव की कथा का आयोजन एवं शिवरात्री के दो दिन बाद रविवार को विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया!
गौरतलब है कि, चिचोली के निकट सोनपुर में क्षेत्र के प्रसिद्ध संत श्री तपश्री बाबा का आश्रम है! जहां कभी बाबा ने वर्षों तक रह कर इस वीरान पड़े क्षेत्र को अपने पूण्य कर्मों से आबाद कर दिया था!
श्री तपश्री बाबा को मनाने वाले अनुयायिओ के अनुसार श्रीतपश्री आश्नम झापल मे तप करने के बाद बाबा ने चिचोली के निकट वीरान पड़े सोनपुर मे अपना आश्रम स्थापित किया था । मान्यता है । कि, संत के कदम पड़ते ही वीरान सोनपुर मे पुनः एक बार मानवीय चहल पहल आबाद हो गई !
चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री के दो दिन बाद  बाबा के अनुयायीओ का जन सैलाब उमड़ता है ! चिचोली के निकट सोनपुर में अपना आश्रम स्थापित करने से पूर्व आध्यात्मिक संत श्री तपश्री बाबा ने वर्षों तक झापल ग्राम के निकट- दुर्गम वन क्षेत्र में आश्रम बनाकर कठोर साधना की थी। श्री तप श्री बाबा ने जिस स्थान पर अपना आश्रम बनाया था!
इस आश्रम के निकट से सात नादियो के उदृगम स्थल के साथ ही यह स्थान पहाडों और सागौन सहित अन्य प्रजाति के वृक्षो से आज भी अच्छादित है ।
सागौन के वनो से अच्छादित इस आश्रम के निकट सात नदियो का उदृगम स्थल है ! इस धार्मिक स्थान का वृतात सदियो से ही नही इससे भी आगे युगो मे भी वर्णित है ! इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि , इस दुर्गम स्थल पर कभी कपिल मुनि ने भी तप किया था ! 
मान्यता है कि, इस तपोभूमि पर तपस्या मे लीन कपिल मुनि से अपने चिमटे की चोट से पहाड़ के शिखर पर पानी के कुंड को प्रकट किया था ! इस स्थान पर आज भी यह कुंड विद्धध्मान है । जिसमे भीषण गर्मी मे भी निर्मल और स्वच्छच जल भरा रहता है । कालान्तर मे यहाँ प्रसिद्ध संत श्रीतपश्री बाबा ने भी तप कर सिद्धिया प्राप्त की थी । कहते है, संन्त के तप के प्रभाव से इस प्राकृतिक और दुर्गम स्थान पर विचरण करने वाले हिसक प्राणी भी अपनी हिसक प्रवृति छोड़कर समान्य हो जाते थे ! श्रीतपश्री बाबा ने इस पॉच नदियो के स्थान पर वर्षों तक कठोर साधना की ।
इस स्थान से निकलने वाली सात नदियो मे" काजल , गंजाल, मोहरण , भाजी ,और चामील,खांडू,गागुल शामिल है ! जो अपने कलकल प्रवाह से इस क्षेत्र के जीवन को अनगिनत वर्षो से पल्लवित करते चली आ रही है !

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