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लौकिक जगत की यात्रा पूर्ण कर आलौकिक ब्रह्म में एकाकार तपोनिष्ठ साधक...

लौकिक जगत की यात्रा पूर्ण कर आलौकिक ब्रह्म में एकाकार तपोनिष्ठ साधक... 
चिचोली media.com:-  आध्यात्मिक अमरत्व का सन्मार्ग दिखाने वाले 108 आचार्यश्री परम पूज्य भगवन विद्यासागर जी महाराज की अतिशय क्षेत्र डोंगरगढ़ में संलेखना पूर्वक समाधि हुई... 
आचार्यवर का अमरत्व बोध विश्व मानवता के ईश्वरीय पक्ष को सदैव प्रगाढ़ता देगा।
जानकारी के मुताबिक मुनिराज_विद्यासागर जी
सम्पूर्ण मानवता के मार्गदर्शक, दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि रात्रि 2: 30 बजे चन्द्रगिरि तीर्थ डोंगरगढ़ में हो गई  है।
उनका परलोक गमन भारतीय समाज की बहुत बड़ी क्षति है ।
संसार की असारता व जीवन के रहस्य को जानने के लिए 30 जून 1968 को मात्र 22 वर्ष की उम्र में संयम की आराधना के लिए पिच्छि-कमन्डल धारण कर संसार की समस्त बाह्य वस्तुओं का परित्याग कर दिया । परिग्रह से परे, चित्त की चंचलता को वश मे कर त्याग और तप की अनूठी मिशाल प्रस्तुत कर पूज्य जैन आचार्य विद्यासागर जी मुनिराज सम्पूर्ण मानवता के दिव्यमान सूर्य थे । 
सांसारिक जगत की चेतना के सूर्य को चिचोली मीडीया का कोटि-कोटि नमन... 

नमोस्तु भगवन 👏

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