दीप यज्ञ कर चिचोली में मनाई गई स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 जयंती
दीप यज्ञ कर चिचोली में मनाई गई स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती
चिचोली मीडीया :-
सेमवार को चिचोली नगर में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200,जयंती पर आर्य समाजियो द्वारा अपने अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं वैदिक रीति से हवन कर जयंती मनाई गई!
आर्य समाज से जुड़े क्रांति आर्य ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के चिन्तक एवं आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था।
उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका ही प्रमुख नारा था । उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म तथा सन्यास को अपने दर्शन के स्तम्भ बनाया। उनकी जयंती पर घरों एवं प्रतिष्ठानो के समक्ष दीप प्रज्वलित किए ।
महर्षि दयानन्द का प्रिय वेद मन्त्र:-
ओ3म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव।
यद् भद्रं तन्न आ सुव॥
यजुर्वेद 30।3
हे सकल जगत् के उत्पत्तिकर्त्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, शुद्धस्वरुप, सब सुखों के दाता परमेश्वर! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण दुर्गुण, दुर्व्यसन और दुःखों को दूर कर दीजिये, जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं, वे सब हमको प्राप्त कीजिये।
0 टिप्पणियाँ