Subscribe Us

header ads

शब्दो की कलम से भी जागरुकता का संदेश "तो खुद को जिंदा समझो".

 शब्दो की कलम से भी जागरुकता का संदेश " तो खुद को जिंदा समझो"

आनंद राठौर_
चिचोली मीडिया डॉट कॉम:- वैश्विक महामारी कोरोना ने जिस तरह से पूरे विश्व में मानव जीवन पर संकट खड़ा कर रखा है! इस स्थिति से उबरने मे समय जरूर लग सकता है। लेकिन अगर प्रयास मजबूत रहे तो विषम से विषम परिस्थिति में भी मजबूत इरादों के साथ हर संकट को टाला जा सकता है !
बस आवश्यकता है तो कुछ कर जाने के जुनून का, जो शायद हर किसी के बस में नहीं होता ।
लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हालात से समझौता करने के बजाय हालात को ही बदल देते हैं।
चिचोली तहसील में प्रशासनिक अमले की कमान संभालने वाले सरल स्वभाव के प्रशासनिक अफसर ने कोरोना काल  मे जिस तत्परता से कार्य किया है ! इसका अंदाजा चिचोली ब्लाक के प्रशासनिक अमले से लगाकर राजनीतिक और नागरिकों की जुबान पर कायम है!
चिचोली तहसील की कमान संभालने वाले तहसीलदार ओपी चोरमा वैसे तो नियमों को लेकर सख्त है लेकिन अपने कार्यों के अलावा उन्होंने  "शब्दो की कलम" से भी कहीं ना कहीं लोगों को वैश्विक महामारी से सेफ करने का भी संदेश दिया है! 

"तो खुद को जिंदा समझो"

गर सीने में धड़क रहा दिल
तो खुद को जिंदा समझो
गर श्वास लेना ना हो मुश्किल
तो खुद को जिंदा समझो।

बदन में लहू का बहना भी
होता है बहुत ही जरूरी
संवेदनाएं जरा ना हो काहिल
तो खुद को जिंदा समझो।

दया,हया,त्याग,ईमानदारी
करुणा,स्नेह,क्षमा,आदि
इंसानियत गर हो फाजिल
तो खुद को जिंदा समझो।

जिंदगी नाम हो जीने का
जिंदादिली सबूत हो उसका
जिंदगी खुशी की हो महफ़िल
तो खुद को जिंदा समझो।

सदा चलते रहना सफ़र में
सुख-दुख एक सा ले कर
लगे जग जन्नत के मुकाबिल
तो खुद को जिंदा समझो।

लोग भूले ना जरा भी
'ओम' काम कर कुछ ऐसा
लोग माने मरना तेरा बातिल
तो खुद को जिंदा समझो।
****
                 *-ओमप्रकाश चोरमा,*
*तहसीलदार चिचोली की कलम से रचना*
~~~~~~~~~~~~~~~~~
कठिन शब्द -
*********
काहिल - सुस्त, आलसी
फाजिल - आवश्यकता से अधिक
मुक़ाबिल - तुल्य, समान
बातिल - झूठ, गलत

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ