भगत ने तय की तारीख को गांव वालों ने कचरे का किया निपटारा
चिचोली मीडिया डॉट कॉम :- कचरा प्रबंधन और स्वच्छता की अलख स्वच्छ भारत अभियान के बाद पूरे देश भर मे फैली हो लेकिन इसका नाता सदियो पुराना है इसकी बानगी जिले के सबसे बड़े जन जातीय बाहुल्य भीमपुर ब्लाक मे देखी जा सकती है। जहां ग्रामीण पोला पर्व पर अपने घरों की सफाई कर कुड़ा गांव के बाहर फेकने जाते हैं | सफाई का अभियान पूरे गांव में एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
जनजातीय बाहुल्य भीमपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत चोहटा पोपटी के ग्राम घोघरा में पोला एवं कर पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया! जिसमें जनजाति समुदाय की परंपरा के अनुसार प्रत्येक वर्ष पोला - कर पर्व के दिन अपने अपने घरों का कचरा निकाल कर गांव के बाहर एकत्रित कर कचरे का निपटारा किया जाता है! यह परंपरा जन जातीय समुदाय मे पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है । जनजाति समुदाय के ग्रामीणों ने बताया कि यहां परंपरा उन्हें विरासत में मिली है । पीढ़ी दर पीढ़ी इसका पालन भी किया जा रहा है। पोला कर का पर्व जनजाति समुदाय के लिए समुदाय का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है! ग्रामीण रामकिशोर धुर्वे ने बताया कि , वर्तमान समय मे शासन की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का कार्य जारी है लेकिन हमारी संस्कृति में सदियों से पर्व के दौरान भी स्वच्छता को विशेष महत्व दिया जाता रहा है जिसका उदाहरण हमारे पर्व के दौरान देखने को मिलता है । पोला एवं करके पर्व के दौरान समूचे ग्राम के ग्रामीण अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा के अनुसार घर की साफ सफाई गांव की साफ सफाई कर निकले हुए कूड़े एवं कचरे को गांव से दूर ले जाकर व्यवस्थित इसका निपटारा करते हैं ! जो कि शासन प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के लिए भी बेहद आवश्यक और सहयोग के रूप में देखा जा सकता है।
कचरे के निपटारे के लिए भगत तय करता है तारीख -
जानकारी के मुताबिक गांव की सफाई के इस अभियान के लिए बकायदा तारीख तय की जाती है गांव का भगत कब गांव में सफाई की जाए यह तय करता है फिर पूरे गांव में इसकी मुनादी कराई जाती है समय और तारीख पर ग्रामीण अपने-अपने घरों के अलावा पूरे गांव में साफ सफाई अभियान चलाकर पूरा एकत्रित करते हैं इसे फिर एक साथ गांव के बाहर ले जाकर निपटारा किया जाता है
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