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संत के आश्रम मे " शिव " कथा का आयोजन.....श्री तप श्री -आश्रम मे एक सप्ताह तक चलेगा धार्मिक अनुष्ठान

संत के आश्रम मे " शिव " कथा का आयोजन.....

श्रीतपश्री -आश्रम चिचोली (सोनपुर) मे एक सप्ताह तक चलेगा धार्मिक अनुष्ठान
चिचोली मीडिया डॉट कॉम:- आनंद रामदास राठौर 
चिचोली तहसील मुख्यालय के सोनपुर मे प्रसिद्ध संत श्री तपश्री बाबा के आश्रम में धार्मिक अनुष्ठान के तहत " शिव की कथा का आयोजन  आगामी 3 मार्च से 9 मार्च तक किया जा रहा है!
जिसमें प्रतिदिन दोपहर 1:00 से 4:00 तक "शिव" कथा का आयोजन होगा ! साथ ही प्रातः 8:00 से 10:00 बजे तक पार्थिव शिवलिंग अभिषेक और पूंजन अनुष्ठान संपन्न होगा!
कथा का वाचन पंडित सुखदेव शर्मा द्वारा किया जाएगा !
गौरतलब है कि, चिचोली के निकट सोनपुर में क्षेत्र के प्रसिद्ध संत श्री तपश्री बाबा का आश्रम है! जहां कभी बाबा ने वर्षों तक रह कर इस वीरान पड़े क्षेत्र को अपने पूण्य कर्मों से आबाद कर दिया था!
श्री तपश्री बाबा को मनाने वाले अनुयायिओ के अनुसार श्रीतपश्री आश्नम झापल मे तप करने के बाद बाबा ने चिचोली के निकट वीरान पड़े सोनपुर मे अपना आश्रम स्थापित किया था । मान्यता है । कि, संत के कदम पड़ते ही वीरान सोनपुर मे पुनः एक बार मानवीय चहल पहल आबाद हो गई !
चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री पर बाबा के अनुयायीओ का जन सैलाब उमड़ता है ! चिचोली के निकट सोनपुर में अपना आश्रम स्थापित करने से पूर्व आध्यात्मिक संत श्री तपश्री बाबा ने वर्षों तक झापल ग्राम के निकट- दुर्गम वन क्षेत्र में आश्रम बनाकर कठोर साधना की थी। श्री तप श्री बाबा ने जिस स्थान पर अपना आश्रम बनाया था!
इस आश्रम के निकट से सात नादियो के उदृगम स्थल के साथ ही यह स्थान पहाडों और सागौन सहित अन्य प्रजाति के वृक्षो से आज भी अच्छादित है ।
सागौन के वनो से अच्छादित इस आश्रम के निकट सात नदियो का उदृगम स्थल है ! इस धार्मिक स्थान का वृतात सदियो से ही नही इससे भी आगे युगो मे भी वर्णित है ! इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि , इस दुर्गम स्थल पर कभी कपिल मुनि ने भी तप किया था ! 
मान्यता है कि, इस तपोभूमि पर तपस्या मे लीन कपिल मुनि से अपने चिमटे की चोट से पहाड़ के शिखर पर पानी के कुंड को प्रकट किया था ! इस स्थान पर आज भी यह कुंड विद्धध्मान है । जिसमे भीषण गर्मी मे भी निर्मल और स्वच्छच जल भरा रहता है । कालान्तर मे यहाँ प्रसिद्ध संत श्रीतपश्री बाबा ने भी तप कर सिद्धिया प्राप्त की थी । कहते है, संन्त के तप के प्रभाव से इस प्राकृतिक और दुर्गम स्थान पर विचरण करने वाले हिसक प्राणी भी अपनी हिसक प्रवृति छोड़कर समान्य हो जाते थे ! श्रीतपश्री बाबा ने इस पॉच नदियो के स्थान पर वर्षों तक कठोर साधना की ।
इस स्थान से निकलने वाली सात नदियो मे" काजल , गंजाल, मोहरण , भाजी ,और चामील,खांडू,गागुल शामिल है ! जो अपने कलकल प्रवाह से इस क्षेत्र के जीवन को अनगिनत वर्षो से पल्लवित करते चली आ रही है !

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