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संत की तपोभूमि से प्रकट हुई है सात नदिया …प्रकृति के बीच काजल ,भाजी ,चामील,गंजाल,मोहरण, खन्डू ,गागुल, का उदगम स्थल -श्री तपश्री आश्रम…

चिचोली मीडिया डॉट कॉम:- आनंद राठौर

चिचोली तहसील मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर सुदूर वनांचल क्षेत्र झापल का श्रीतपश्री आश्रम प्राकृतिक , धार्मिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है ।

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सागौन के वनो से अच्छादित इस आश्रम के निकट सात नदियो का उदृगम स्थल है ! इस धार्मिक स्थान का वृतात सदियो से ही नही इससे भी आगे युगो मे भी वर्णित है ! इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि , इस दुर्गम स्थल पर कपिल मुनि ने भी तप किया था ! 

मान्यता है कि, इस तपोभूमि पर तपस्या मे लीन कपिल मुनि ने अपने चिमटे की चोट से पहाड़ के शिखर पर पानी के कुंड को प्रकट किया था ! इस स्थान पर आज भी यह कुंड विद्धध्मान है । जिसमे भीषण गर्मी मे भी निर्मल और स्वच्छच जल भरा रहता है ।

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कालान्तर मे यहाँ प्रसिद्ध संत श्री तप श्री बाबा ने भी तप कर सिद्धिया प्राप्त की थी । कहते है, संन्त के तप के प्रभाव से इस प्राकृतिक और दुर्गम स्थान पर विचरण करने वाले हिसक प्राणी भी अपनी हिसक प्रवृति छोड़कर समान्य हो जाते थे ! श्रीतपश्री बाबा ने इस पॉच नदियो के स्थान पर वर्षों तक कठोर साधना की ।

इस स्थान से निकलने वाली सात नदियो मे” काजल , गागुल,चामील, गंजाल, मोहरण , भाजी ,और खांडू शामिल है ! जो अपने कलकल प्रवाह से इस क्षेत्र के जीवन को अनगिनत वर्षो से पल्लवित करते चली आ रही है ! 

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श्री तपश्री बाबा को मनाने वाले अनुयायिओ के अनुसार श्रीतपश्री आश्नम मे तप करने के बाद बाबा ने चिचोली के निकट वीरान पड़े सोनपुर मे अपना आश्रम स्थापित किया था । वृतांत है कि, संत के कदम पड़ते ही वीरान सोनपुर मे पुनः एक बार मानवीय चहल पहल आबाद हो गई !

चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री पर बाबा के अनुयायीओ का जन सैलाब उमड़ता है ! 

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श्रीतप श्री आश्रम के निकट पाँच नादियो के उदृगम स्थल के साथ ही यह स्थान पहाडों और सागौन सहित अन्य प्रजाति के वृक्षो से आज भी अच्छादित है ।

यहाँ पर पहुचकर प्राप्त होने वाले आध्यामिक सुकून की कल्पना भी नही कि जा सकती है |

झापल के श्री तपश्री आश्रम मे जिस स्थान पर बाबा ने वर्षो तपस्या की थी! आज भी इस स्थान पर एक आध्यामिक और ईश्वरीय ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है !

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