चिचोली के 200 वर्ष पुराने मंदिर मे भौर की आरती के साथ श्रद्धालुओं ने किया श्री लक्ष्मी नारायण का पूजन....
काले पथ्थर से निर्मित है लक्ष्मीनारायण की मूर्ति
चिचोली media.com :- हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है! देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी या देव उत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं, इसलिए इस दिन इनकी विषेश पूजा की जाती है। चिचोली के ऐतिहासिक मंदिरों में सुमार 200 वर्ष पुराने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में आज भौर की आरती के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी कि ,काले पथ्थर से निर्मित मन मोहक प्रतिभा के दर्शन कर पूजा पाठ कर धर्म का लाभ लिया! श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिवार से जुड़े राजू देशपांडे ने बताया कि, मंदिर का निमार्ण 200 साल पहले किया गया था।
तब से लगाकर आज तक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के उपरांत श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर मे काकण आरती का आयोजन होते चला आ रहा है। भगवान श्री हरि एवं माता लक्ष्मी को समर्पित यह आरती मराठी एवं हिंदी भाषा मे संयुक्त रूप से की जाती है! इस आरती में नगर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता है कि, यह एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए बेहद उत्तम मानी जाती है। इस दिन जो भी भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ के अलावा कुछ विशेष उपाय करता है, उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन लाभ के भी योग बनने लगते हैं!
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